Ikhtiyarat-e-Mustafa (12Shab)

Book Name:Ikhtiyarat-e-Mustafa (12Shab)

अह़कामात के मुकम्मल इख़्तियारात नबियों के ताजवर, अफ़्ज़लुल बशर صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को सौंप दिये । जैसा कि :

          मश्हूर मुह़द्दिस, ह़ज़रते सय्यिदुना शैख़ अ़ब्दुल ह़क़ मुह़द्दिसे देहल्वी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ फ़रमाते हैं : सह़ीह़ और मुख़्तार मज़हब येही है कि अह़काम, ह़ुज़ूर صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के सिपुर्द हैं, जिस पर जो चाहें ह़ुक्म करें, एक काम एक पर ह़राम करते हैं और दूसरे पर मुबाह़ (या'नी जाइज़ फ़रमा देते हैं, मज़ीद फ़रमाते हैं :) अल्लाह पाक ने शरीअ़त मुक़र्रर कर के सारी की सारी, अपने रसूल व मह़बूब صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के ह़वाले कर दी (कि उस में जिस त़रह़ चाहें तब्दीली व इज़ाफ़ा फ़रमाएं) । (मदारिजुन्नुबुव्वत, 2 / 183)

          लिहाज़ा हमें चाहिये कि रसूले अकरम, नूरे मुजस्सम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के दीगर फ़ज़ाइलो कमालात पर कामिल यक़ीन व ईमान रखने के साथ साथ आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के इख़्तियारात पर भी ईमान लाएं और इस क़िस्म के ख़यालात को अपने ज़ेहनों में हरगिज़ जगह न दें कि जिस चीज़ को क़ुरआने करीम में ह़लाल बयान किया गया है सिर्फ़ वोही ह़लाल और जिस चीज़ को क़ुरआने करीम में ह़राम बयान किया गया, सिर्फ़ वोही ह़राम है बल्कि येह ईमान होना चाहिये कि नबियों के सरदार, दो आ़लम के मालिको मुख़्तार صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के फ़रामीन व अह़ादीस भी किसी चीज़ को ह़लाल व ह़राम क़रार देने में क़ुरआने करीम ही की त़रह़ दलील हैं । जैसा कि :

          ख़ुद नबिय्ये करीम, रऊफ़ुर्रह़ीम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने अपने इख़्तियारात पर ए'तिराज़ात करने वाले बद नसीबों को ख़बरदार करते हुवे इरशाद फ़रमाया : मुमकिन है कि कोई शख़्स अपने तख़्त पर टेक लगा कर बैठे और मेरी अह़ादीस में से कोई ह़दीस बयान करने के बा'द येह कहे कि हमारे तुम्हारे दरमियान अल्लाह पाक की किताब क़ुरआन मौजूद है, हमें इस में जो चीज़ ह़लाल मिलेगी सिर्फ़ उसी को ह़लाल और इस में जो चीज़ ह़राम मिलेगी