Book Name:Hazrat Musa Ki Shan o Azmat
बनाएंगे । चुनान्चे, आप رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھَا चन्द रोज़ ह़ज़रते मूसा عَلَیْہِ السَّلَام को दूध पिलाती रहीं, इस अ़र्से में न आप عَلَیْہِ السَّلَام रोते, न इन की गोद में कोई ह़रकत करते और न आप عَلَیْہِ السَّلَام की बहन के सिवा और किसी को आप عَلَیْہِ السَّلَام की पैदाइश की ख़बर थी । जब आप رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھَا को फ़िरऔ़न की त़रफ़ से ख़त़रा हुवा, तो ह़ज़रते मूसा عَلَیْہِ السَّلَام को एक सन्दूक़ में रख कर जो ख़ास त़ौर पर इस मक़्सद के लिए बनाया गया था, रात के वक़्त दरयाए नील में बहा दिया । (تفسیرخازن ، القصص ، تحت الآیۃ : ۷ ، ۳ / ۴۲۳-تفسیرمدارک ، القصص ، تحت الآیۃ : ۷ ، ص۸۶۱-تفسیر جلالین ، القصص ، تحت الآیۃ : ۷ ، ص ۳۲۶ ، ملتقطاً)
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! क्या आप जानती हैं कि दरयाए नील में तैरता हुवा वोह मुबारक सन्दूक़ जिस में ह़ज़रते मूसा عَلَیْہِ السَّلَام मौजूद थे, वोह किस ख़ुश क़िस्मत हस्ती के ह़िस्से में आया ? अल्लाह पाक के इस पाकीज़ा नबी عَلَیْہِ السَّلَام का प्यारा प्यारा नाम किस मोह़तरम हस्ती ने रखा ? और इस मुबारक नाम का मत़लब क्या है ? आइए ! सुनिए । चुनान्चे,
ह़ज़रते मूसा عَلَیْہِ السَّلَام का नाम किस ने रखा ?
ह़ज़रते इमाम अ़लाउद्दीन अ़ली बिन मुह़म्मद ख़ाज़िन رَحْمَۃُ اللّٰہِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : ह़ज़रते आसिया رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھَا से इन (यानी ह़ज़रते मूसा عَلَیْہِ السَّلَام) का नाम रखने के लिए कहा गया, तो आप ने फ़रमाया : मैं ने इस (बच्चे) का नाम “ मूसा “ रखा । (تفسير خازن ، پ۲۰ ، القصص ، تحت الآية : ۷ ، ۳ / ۳۵۸) चूंकि ह़ज़रते मूसा عَلَیْہِ السَّلَام पानी और दरख़्तों के दरमियान पाए गए थे और क़िब्त़ी ज़बान में पानी को “ मू “ और दरख़्त को “ सा “ केहते हैं । (تفسیردرمنثور ، پ۲۰ ، القصص ، تحت الآية : ۴ ، ۶ / ۳۹۱) इसी लिए आप का येह नाम रखा गया । (फै़ज़ाने ह़ज़रते आसिया, स. 22)
ह़ज़रते आसिया رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھَا कौन ?
ह़ज़रते आसिया رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھَا फ़िरऔ़न की बीवी थीं । ह़ज़रते आसिया رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھَا ने जब जादूगरों को ह़ज़रते मूसा عَلَیْہِ السَّلَام के मुक़ाबले में मग़लूब होते देख लिया, तो फ़ौरन उन के दिल में ईमान का नूर चमक उठा और वोह ईमान ले आईं । जब फ़िरऔ़न को ख़बर हुई, तो उस ज़ालिम ने उन पर बड़े बड़े अ़ज़ाब किए, बहुत ज़ियादा मारने के बाद चार कीलें गाड़ कर ह़ज़रते आसिया رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھَا के चारों हाथों, पैरों में लोहे की कीलें ठोंक कर चारों कीलों में इस त़रह़ जकड़ दिया कि वोह हिल भी नहीं सकती थीं, उन्हें धूप की तपिश में डाल दिया और भारी पथ्थर उन के सीने पर रखने का ह़ुक्म दिया । जब पथ्थर लाया गया, तो ह़ज़रते आसिया رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھَا ने रब्बे करीम की बारगाह में अ़र्ज़ की : ऐ रब्बे करीम ! मेरे लिए जन्नत में एक घर बना दे । चुनान्चे, उन्हें जन्नत में सफे़द मोतियों से बना हुवा उन का घर दिखा दिया गया और फिर अल्लाह पाक ने उन की रूह़ क़ब्ज़ कर ली । जब उन के जिस्म पर पथ्थर रखा गया, तो उन के जिस्म में रूह़ नहीं थी, लिहाज़ा उन्हें कुछ भी दर्द मह़सूस न हुवा । इबने कैसान رَحْمَۃُ اللّٰہِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : वोह ज़िन्दा ही उठा कर जन्नत में पहुंचा दी गईं, पस वोह जन्नत में खाती और पीती हैं । (عمدۃ القاری ، کتاب احادیث الانبیاء ، باب وضرب اللہ مثل للذین آمنوا… الخ ، ۱۱ / ۱۴۴)